साल 2003 इराक़ अमरीका जंग के दौरान
अमरीका की बमबारी के दौरान
अब्दुल कादिर जिलानी रह0 की कब्र
भी इन बमो की ज़द मे आई| उम्मत
मुस्लिमा का एक बड़ा तबका इन्हे गौस पाक के नाम से बुलाता हैं
और इनसे अपनी हाजते और मदद मांगता हैं और
इन्हे मुश्किलकुशा और हाजतरवा समझता हैं| अगर अब्दुल
कादीर जिलानी रह0 किसी
की मदद कर सकते तो इन्हे इतनी
भी तौफ़ीक न हुई के इराक पर
अमरीका के ज़ुल्म सितम को रोक सके जिसमे मज़लूम
आवाम का खून बह रहा हैं और तो और न वो किसी को
बचा सके न अपनी कब्र जिसे लोगो ने इबादतगाह बना
रखा हैं उसे बचा सके|
साल 2007 अक्तूबर 11 हिन्दुस्तान के अजमेर शहर मे ख्वाजा
मोईनुद्दीन चिश्ती की मज़ार
पर एक बम धमाका हुआ था जिसमे 3 लोग मारे गये और 17
ज़ख्मी हुएथे| अगर ख्वाजा साहब कुछ देख सकते
या सुन सकते या कुछ मरने के बाद भी इख्तयार रखते
तो शायद मरने वालो और ज़ख्मी लोगो को बचा लेते लेकिन
ऐसा नही हुआ क्योकि अल्लाह का दावा सच्चा हैं न
कोई मुर्दा देख सकता हैं न सुन सकता हैं| अगर ख्वाजा साहब
अपनी कब्र के अन्दर से लोगो की
फ़रीयाद सुन सकते हैं और कब्र के अन्दर से
ही मदद कर सकते हैं तो मरने के बाद इस बम धमाके
को क्यो न रोक पाये और अपने मरने वाले और ज़ख्मी
मुरीदो को क्यो न बचा सके|
साल 2010 अक्तूबर 25 पाकपत्तन, पाकिस्तान मे बाबा
फ़रीद की दरगाह पर बम धमाका हुआ
जिसके सबब उनके जन्नती दरवाज़े पर मौजूद 6-8
लोग मारे गये| अगर बाबा फ़रीद को हाजत
पूरी करने का इख्तयार हैं तो उन्होने इस बम धमाके को
कैसे होने दिया| अगर बाबा फ़रीद अपने
मुरीदो की जान बचाने का भी
इख्तयार नही तो वो हाजत पूरी कैसे कर
सकते हैं|
ये वो दुनिया की मिसाले हैं जो कोई बहुत
पुरानी किस्सा कहानी नही
बल्कि चंद साल पहले हुए सच्ची बात हैं| ये अल्लाह
का दावा हैं के अल्लाह की मर्ज़ी के बिना
कोई मर नही सकता तो ये बुज़ुर्ग अपनी
कब्रो मे कैसे ज़िन्दा हैं| अगर जिन्दा थे तो इस मुसीबत
को क्यो न टाल सके|
आज दीन ए इस्लाम के जाहिल मौलवियो के सबब इन
कब्रो पर कारोबारी अड्डा बना हुआ हैं लोग
अपनी खून पसीने की कमाई
इन बुज़ुर्गो की अकिदत मे कब्रो के मुजावरो को देते हैं
के ये उनकी सिफ़ारिश कर दें और ये मुजावर आवाम को
बेवकूफ़ बना कर लूट रही हैं और तो और आवाम को
भी इस बात का शऊर नही के वो कलाम
इलाही पर गौर करके अपनी
मुसीबत को दूर कर ले|
बेशक हर चीज़ का खालिक व मालिक अल्लाह
सुबहानोतालाह हैं अगर अल्लाह किसी
परेशानी को टालना चाहे तो कोई कुछ नही
कर सकता| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
खुदा मुझ पर मेहरबानी करना चाहे तो क्या वह लोग
उसकी मेहरबानी को रोक सकते हैं| (ऐ
रसूल) तुम कहो की मेरे लिये अल्लाह ही
काफ़ी हैं उसी पेर भरोसा करने वाले भरोसा
करते हैं| (सूरह ज़ुमर 39/38)
लिहाज़ा हर इन्सान को चाहिए के अल्लाह पर भरोसा करे और
उसी से मदद मांगे|
लोगो का ये गुमान के जो लोग नेक होते हैं और अपनी
कब्रो मे ज़िन्दा हैं| इस बारे मे अकसर कुरान की ये
दलील देते हैं कि-
और जो लोग अल्लाह की राह मे मारे गये उन्हे मुर्दा
न सम्झो बल्कि वो ज़िन्दा हैं मगर तुम्हे शऊर नही|
(सूरह अल बकरा 2/169)
और जो लोग अल्लाह की राह मे शहीद
किये गये उन्हे मुर्दा न समझो बल्कि वो ज़िन्दा हैं और अपने रब
के पास रोज़ी पा रहे हैं|(सूरह अल इमरान 3/169)
इस दोनो आयतो के शुरुआत मे ही अल्लाह ने फ़रमा
दिया “जो लोग अल्लाह की राह मे मारे गये और
शहीद किये गये” लिहाज़ा जो नेक लोग अल्लाह
की राह मे मारे गये या शहीद किये गये यानि
की वो मर चुके| क्योकि शहीद कोई शख्स
मरने के बाद ही होता हैं बिना मरे कोई इन्सान
शहीद के दर्जे को नही पहुंच सकता|
इन आयतो का दूसरा हिस्सा ये बताता हैं के “तुम्हे शऊर
नही और वो अल्लाह के पास रोज़ी पा रहे
हैं” यानि वो जिस तरह ज़िन्दा हैं हमे उनकी
ज़िन्दगीयो के बारे मे कुछ नही पता| जिस
तरह इन्सान जब अपने मां के पेट मे होता हैं और अल्लाह उसे
वहा भी रोज़ी देता हैं पर न तो दुनिया मे
आने ले बाद किसी इन्सान को उस ज़िन्दगी
का शऊर होता हैं न ही उसे ये पता होता हैं के वो किस
तरह वहा रोज़ी पा रहा होता हैं ठीक
उसी तरह नेक लोगो के मरने के बाद की
ज़िन्दगी या शहीद होने वालो
की ज़िन्दगी का हमे कुछ पता
नही| मज़ीद अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया
–
आग हैं जिसके सामने वो लोग सुबह व शाम लाये जाते हैं और जिस
दिन कयामत बरपा होगी (फ़रमान होगा) फ़िरओन को
सख्त अज़ाब मे डालो|(सूरह मोमिन 40/46)
गौर तलब हैं के यहा अल्लाह फ़िरओन और उसके लोगो के बारे मे
बता रहा हैं जबकि फ़िरओन की लाश म्यूज़ियम मे
आज तक मौजूद हैं न के कब्र में जबकि अल्लाह फ़रमा रहा हैं
की फ़िरओन और उसके लोगो को सुबह शाम आग के
सामने खड़ा किया जाता हैं तो जिस तरह फ़िरओन को ये मामला
उसकी इस दुनिया की ज़िन्दगी
के बाद पेश आ रहा हैं उसी तरह नेक लोगो के साथ
अल्लाह का ये मामला हैं की अल्लाह उन्हे अपने
तरीके से रोज़ी दे रहा हैं न हमे फ़िरओन
के साथ इस मामले के बारे मे पता न ही
किसी नेक शख्स के बारे मे पता के उसके साथ कैसे
मामला पेश हो रहा हैं| मज़ीद ये के खुद
नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम के बारे मे अल्लाह
ने कुरान मे फ़रमाया-
और मुहम्मद तो बस रसूल हैं इनसे पहले भी बहुत
से रसूल गुज़र चुके हैं फ़िर क्या अगर मुहम्मद मर जाये या कत्ल
कर दिये जाये तो तुम क्या इस्लाम से उल्टे पांव फ़िर जाओगे तो
समझ लो जो कोई उल्टे पांव फ़िर जायेगा तो अल्लाह का कुछ न
बिगड़ेगा और जल्द अल्लाह शुक्र अदा करने वालो को अच्छा बदला
देगा| (सूरह अल इमरान सूरह नं0 3 – आयत नं0 144
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